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ओमनीचैनल मार्केटिंग क्या है? परिभाषा, उदाहरण और टिप्स

ओमनीचैनल, मार्केटिंग का एक चौतरफ़ा अप्रोच है जिसमें हर चैनल शामिल होता है. मल्टीचैनल और ओमनीचैनल मार्केटिंग के बीच बड़ा अंतर यह है कि मल्टीचैनल मार्केटिंग में कॉन्टेंट चैनलों का सीमित सेलेक्शन शामिल है, जबकि ओमनीचैनल मार्केटिंग में ये सभी शामिल हैं.

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चाहे आप किसी Store में जा रहे हों या मोबाइल ऐप पर स्वाइप कर रहे हों, ख़रीदारी करना हर किसी के लिए यूनीक एक्सपीरिएंस होता है. अपनी पिछली खरीदारी के बारे में सोचें—आपको ख़रीदारी की इच्छा किस तरह हुई थी? क्या आपने कोई एडवरटाइज़ देखा था? कोई ईमेल मिला था? मॉल में चल रहे डिस्प्ले पर देखा था? आप चाहे ध्यान दें या न दें, मार्केटिंग आपकी हर गतिविधि का हिस्सा है. खरीदारी की तरफ़ ब्रैंड के साथ होने वाले आपके हर इंटरैक्शन में किसी आइटम को ख़रीदने के आपके फैसले में अहम भूमिका होती है. ब्रैंड हर स्तर पर ख़रीदारों तक अपनी पहुँच किस तरह पक्की कर सकते हैं?

इसका जवाब है ओमनीचैनल रणनीति. ओमनीचैनल मार्केटिंग रणनीति से आपको अपने सभी चैनल आसानी से इंटीग्रेट करने में मदद मिल सकती है. साथ ही, इससे आपकी मार्केटिंग की कई रणनीतियाँ एक साथ मिलकर बेहतर और असरदार तरीक़े से काम कर सकती हैं. कस्टमर के खरीदारी करने का तरीका समझ कर, अलग-अलग चैनलों पर खरीदारी के लिए आगे बढ़ने वाली ऑडियंस से जुड़ने के लिए कस्टमर को ध्यान में रखने वाली अप्रोच अपनाई जा सकती है. टेक्नोलॉजी-ऐक्टिवेट किए गए टच पॉइंट और खरीदारी के यूनीक एक्सपीरिएंस के ज़्यादा अवसरों के बावजूद, उपभोक्ताओं को ब्रैंड से ज़्यादा उम्मीद रहती है. इसलिए आपकी ओमनीचैनल रणनीति में आपके हर ब्रैंड के चैनलों को इंटीग्रेट करना ज़रूरी है.

आगे बढ़ने से पहले, उन चीज़ों को जानते हैं जो वाक़ई ज़रूरी हैं.

ओमनीचैनल क्या है?

मार्केटिंग में, ओमनीचैनल ख़ास कस्टमर को ध्यान में रखकर बनाई गई अप्रोच है. इसमें सभी चैनल को मिलाकर फ़िजिकल Stores, ऐप और वेबसाइट पर यूनीफ़ाइड और एक जैसा ब्रैंड अनुभव डिलीवर करना शामिल हैं. यह पक्का करता है कि कस्टमर अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म पर ब्रैंड के साथ आसानी से इंटरैक्ट कर सकें, ताकि उन्हें बेहतर ब्रैंड अनुभव मिले.

ओमनीचैनल रणनीति क्या है?

“ओमनीचैनल रणनीति” का मतलब, सभी चैनल पर हर कस्टमर टच पॉइंट के लिए किसी ब्रैंड की चौतरफ़ा अप्रोच से है. ओमनीचैनल रणनीतियों की मदद से ब्रैंड, कस्टमर को डिजिटल और ब्रिक और मोर्टार दोनों तरह के टच पॉइंट पर एक नियमित और कोहेसिव एक्सपीरिएंस देने की कोशिश करते हैं. किसी एक ब्रैंड के एक्सपीरिएंस के हिस्से के तौर पर हर चैनल पर अप्रोच करके, ब्रैंड कस्टमर के खरीदारी के पूरे सफ़र में ऑडियंस तक पहुंचने के लिए एक साथ कई छोटी-छोटी कोशिशें काम करती हैं.

इसके अलावा, ओमनीचैनल रणनीति में कस्टमर का ख़रीदारी का पूरा सफ़र शामिल होता है, इसमें मार्केटिंग फ़नल की शुरुआत में ब्रैंड को ढूँढने से लेकर, खरीदारी, कस्टमर की विश्वसनीयता और इससे आगे की भी सभी चीज़ें शामिल होती हैं. अच्छी ओमनीचैनल रणनीति ख़रीदारी के सफ़र को आसान बनाती है और रुकावटें दूर करती है, क्योंकि ऑडियंस को हर चैनल पर आपके ब्रैंड के जैसा एक्सपीरिएंस मिल रहा है.

ओमनीचैनल और मल्टीचैनल में क्या अंतर है?

ओमनीचैनल और मल्टीचैनल सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन आपके लिए इन दोनों में मुख्य अंतर को समझना ज़रूरी है, ताकि यह पक्का हो सके कि आपने अपने ब्रैंड के लिए सही रणनीतियाँ लागू की हैं. मल्टीचैनल ऐसी किसी भी रणनीति को शामिल करने के लिए एक अंब्रेला टर्म है जिसमें एक से ज़्यादा चैनल शामिल हों. वहीं, ओमनीचैनल इससे एक कदम आगे है. इसमें हर चैनल को शामिल करने या उसकी जानकारी देने का काम होता है—इसमें सभी चीज़ें शामिल होती हैं. आइए इस तुलना से सामने आने वाले कुछ अहम अंतर समझते है.

पहला, ओमनीचैनल का एक्सपीरिएंस थोड़ा जटिल और उलझा हुआ होता है. वे ज़्यादातर आधुनिक कस्टमर के खरीदारी के सफ़र के उलझे हुए पैटर्न से मैच करते हैं. मल्टीचैनल रणनीतियां ज़्यादा सरल होती हैं—वे चैनलों के बीच एक सीधा अंतर पैदा करती हैं.

ओमनीचैनल अप्रोच एक बिज़नेस मॉडल की तरह काम कर सकता है, जबकि मल्टीचैनल ज़्यादा ऑपरेशनल है. नतीजतन, मल्टीचैनल अप्रोच में बैक-एंड सिस्टम इंटीग्रेशन की कमी हो सकती है - कोई चैनल ऑडियंस के एंगेजमेंट से जुड़ी जानकारी दूसरे चैनल को नहीं भेज सकता. उदाहरण के लिए, ओमनीचैनल रणनीतियों में चैनल लाइव अपडेट कर सकते हैं, जैसे कि इन चैनलों पर कस्टमर को ज़्यादा उपयोगी और संबंधित एक्सपीरिएंस देने के लिए उन आइटम के लिए ईमेल रिमाइंडर भेजना जिनके बारे में कस्टमर ने उनकी वेबसाइट पर दिलचस्पी दिखाई. किसी मल्टीचैनल अप्रोच में इस तरह बिना रुकावट का एक्सपीरिएंस नहीं मिल पाता.

जैसे ही कस्टमर अलग-अलग चैनलों पर किसी ब्रैंड के साथ एंगेज होते हैं, ओमनीचैनल की रणनीति बेहतर हो जाती है. मल्टीचैनल में स्थिरता होती है, जबकि ओमनीचैनल में बदलाव होता रहता है. इसी तरह, ओमनीचैनल की रणनीतियों में कस्टमर पर ज़्यादा फ़ोकस होता है, जबकि मल्टीचैनल में अक्सर ब्रैंड को ध्यान में रखा जाता है.

ओमनीचैनल और मल्टीचैनल के बीच के अंतर के बारे में ज़्यादा जानें.

ओमनीचैनल क्यों ज़रूरी है?

एडवरटाइज़िंग टेक्नोलॉजी बेहतर हो रही है और कंज़्यूमर के व्यवहार लगातार बदल रहे हैं, इसलिए मार्केटिंग में उसी के हिसाब से बदलाव ज़रूरी है. इंटीग्रेटेड ओमनीचैनल रणनीति बनाने से आपको अपनी ऑडियंस तक यूनीक मैसेज भेजने में मदद मिल सकती है. इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि ऑडियंस को आपके ब्रैंड के बारे में कहां से पता चला. ओमनीचैनल रणनीति से यह पक्का करने में भी मदद मिल सकती है कि आपका ब्रैंड आपके सभी मार्केटिंग चैनलों पर मौजूद रहे और ऑडियंस को नियमित तौर पर मैसेज मिलते रहें.

इसके अलावा, ओमनीचैनल इसलिए भी अहम है, क्योंकि नियमित इंटरैक्शन से कस्टमर एक्सपीरिएंस बेहतर हो सकता है. साथ ही, अलग-अलग चैनलों पर दिलचस्पी बढ़ाने के ज़्यादा अवसरों के साथ-साथ बेहतर कस्टमर एक्सपीरिएंस से कन्वर्ज़न बढ़ सकते हैं.

तीसरा, ओमनीचैनल से आपके ब्रैंड को सही कस्टमर के पास सही समय पर पहुँचने का अवसर मिलता है. इस बेहतर पहुँच से मीडिया पर खर्च का तरीका ज़्यादा ऑप्टिमाइज़ हो सकता है और उससे इनवेस्टमेंट पर ज़्यादा फ़ायदा (ROI) मिल सकता है.

इस अप्रोच की अहमियत को समझते हुए, आइए जानते हैं कि रणनीति किस तरह बनाई जाती है.

ओमनीचैनल रणनीति किस तरह बनाएँ

ओमनीचैनल कस्टमर एक्सपीरिएंस के लिए मज़बूत नींव और इंटीग्रेटेड अप्रोच की ज़रूरत होती है. बेहतरीन कस्टमर एक्सपीरिएंस के लिए यह ज़रूरी है कि आपके चैनल एक साथ मिलकर काम करें. अप्रोच तैयार करने के लिए पाँच अहम तरीक़े हैं: इनसाइट कलेक्शन, विश्लेषण, सेगमेंटेशन, लॉजिस्टिकल कंसिडरेशन डेवलपमेंट और ऑप्टिमाइज़ेशन.

स्टेप 1. रिसर्च करके इनसाइट जुटाना

जैसा कि आपको याद है, ओमनीचैनल अप्रोच में कस्टमर को बीच में रखा जाता है. लेकिन, कस्टमर पर फ़ोकस करने वाला अपना मार्केटिंग अप्रोच तैयार करने से पहले आपको अपने कस्टमर की ज़रूरतों को समझना होगा.

शुरू करने के लिए, अपने मौजूदा कस्टमर एक्सपीरिएंस के बारे में इनसाइट जुटाना ज़रूरी है. अपने खुद के ब्रैंड चैनलों के माध्यम से शुरुआत करें. अपनी वेबसाइट स्क्रॉल करें, प्रोडक्ट खरीदें, चैटबॉट का इस्तेमाल करें और खुद को खरीदार की जगह रखकर देखें. क्या आपका एक्सपीरिएंस अच्छा रहा? क्या परेशानी वाली कोई बात थी? क्या ऐसी कोई गतिविधि है, जिसमें कई स्टेप हों?

इसके बाद, वॉइस-ऑफ़-कस्टमर (VOC) सर्वे, कस्टमर रिव्यू या फ़ोकस ग्रुप के ज़रिए कस्टमर तक पहुँचना शुरू करें. खरीदारी के एक्सपीरिएंस पर उनकी प्रतिक्रिया सुनें और जानें कि उनके हिसाब से क्या काम कर रहा है और क्या नहीं. इस बेसिक फ़ीडबैक को पाने और अपनी ऑडियंस के विचारों का सम्मान करने से आपको सही मायने में पता चलेगा कि आपको अपनी रणनीति में कहाँ बदलाव करने की ज़रूरत है.

अपने कारोबार को हैंडल करने वाली अलग-अलग टीमों की रिसर्च की जानकारी लें. हर चैनल की टीम में किसी से बात करने की कोशिश करें—चाहे वह कोई ईमेल मार्केटिंग एसोसिएट या किसी स्टोर का कैशियर हो. उनकी ख़ास जानकारी वाले क्षेत्रों के बारे में उनकी राय जानने से आपको अंदरूनी चीज़ें जानने में मदद मिलेगी.

स्टेप 2. डेटा का विश्लेषण करना

आपने अभी जो ज़रूरी बातें सीखी हैं उनका फ़ायदा तभी है, जब आप उनका विश्लेषण करें और उन्हें समझें. इसलिए, अगला काम इस रिसर्च को काम करने लायक इनसाइट में बदलना है. याद रखें कि यह एक्सपीरिएंस आपके कस्टमर के बारे में है, न कि आपके ब्रैंड के बारे में. आप जो कुछ भी करते हैं उसे कस्टमर पर फ़ोकस करने से आपकी ऑडियंस के एक्सपीरिएंस को प्रामाणिक बनाने में मदद मिलेगी.

इसी तरह, धारणाएँ बनाने से बचना ज़रूरी है. खरीदार के तौर पर खुद के एक्सपीरिएंस से कुछ नतीजे पाना आसान हो सकता है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि आप अपनी टार्गेट ऑडियंस की तरह हैं या सारी जनता के प्रतिनिधि हैं. रिसर्च को बिना किसी अवधारणा के देखने की कोशिश करें, ताकि हर इनसाइट में छिपे पहलुओं को समझा जा सके.

इस स्टेप में सबसे ज़्यादा ध्यान इस बात पर देने की ज़रूरत है कि आपके कस्टमर की ज़रूरतें क्या हैं. उन ज़रूरतों का अनुमान लगा पाने से आपको बदलाव लाने में मदद मिलेगी. साथ ही, उपयोगी और कारगर तरीक़े से अपनी ओमनीचैनल रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.

स्टेप 3. सेगमेंट बनाना और अपने हिसाब से

अब आपको अपने कस्टमर की समझ है, कस्टमर के ख़रीदारी के सफ़र को जानने का यही समय है.

ओमनीचैनल से आपको अपने मैसेज अलग-अलग तरह की ऑडियंस तक पहुँचाने में मदद मिलती है. इसलिए, इस खास स्टेप का अहम हिस्सा कस्टमर के खरीदारी के सफ़र को जानना है. जब आपको यह समझ आ जाता है कि ऑडियंस आपके ब्रैंड से किस तरह इंटरैक्ट करती है, तो उन इंटरैक्शन को गाइड करके, अपने मैसेज सही समय पर, सही जगहों पर भेजे जा सकते हैं.

स्टेप 4. ज़्यादा रणनीतिक लॉजिस्टिक के इस्तेमाल पर विचार करना

अपनी ओमनीचैनल रणनीति को व्यापक तरीक़े से देखने से कंसिस्टेंसी बनाए रखने और ब्रैंड की कोहेसिव पहचान बनाने में मदद मिल सकती है. इस अप्रोच के लिए छोटे-छोटे और रणनीतिक तौर पर ज़्यादा लॉजिस्टिक इस्तेमाल करने पर विचार करना भी ज़रूरी है.

क्या आपके सेल्स रिप्रज़ेंटेटिव ऑनलाइन चैटबॉट जैसे ब्रैंड लहज़े और आवाज़ में बात करते हैं? क्या आपकी वेबसाइट पर कस्टमर को मदद मिलती है? क्या ख़रीदारी के आखिरी स्टेप में कस्टमर के लिए पैसे चुकाना आसान है?

इस प्रोसेस की आख़िरी स्टेप पर जाने से पहले इन सभी सवालों पर विचार करना चाहिए.

स्टेप 5. टेस्ट करना, मापना और ऑप्टिमाइज़ करना

कुल मिलाकर, आख़िरी स्टेप है लगातार सीखते रहना और ऑप्टिमाइज़ करते रहना. मार्केटिंग के किसी अन्य हिस्से की तरह ही, आपकी ओमनीचैनल रणनीति में भी लगातार बदलाव किया जाना चाहिए. इससे आपको कस्टमर के साथ लंबे समय तक रिलेशन बनाने और ज़्यादा से ज़्यादा ROI पाने के लिए, अपने क्रिएटिव, मैसेज और बजट को ऑप्टिमाइज़ करने में मदद मिलेगी.

ओमनीचैनल मार्केटिंग के उदाहरण

याद रखें, ओमनीचैनल में हर चैनल पर विचार किया जाता है. इसमें इन-स्टोर और टच पॉइंट दोनों शामिल हैं. आइए ओमनीचैनल मार्केटिंग के कुछ उदाहरणों को देखें, ताकि यह पक्का हो सके कि रणनीति बनाने के दौरान आपसे कुछ छूट ना जाए.

ऑनलाइन चैनल

कंज़्यूमर के बदलते व्यवहार की वजह से ऑनलाइन चैनल की अहमियत बढ़ती जा रही है. मोबाइल रिवॉर्ड ऐप, डिजिटल टच पॉइंट का एक बेहतरीन उदाहरण है. इन ऐप से कस्टमर को सीधे अपने फ़ोन से प्रोडक्ट ऑर्डर करके ख़रीदारी करने की सुविधा मिलती है. साथ ही, रिवॉर्ड पॉइंट भी मिलते हैं.

ऑनलाइन चैनल का एक और उदाहरण ईमेल मार्केटिंग का कोई भी रूप होगा. इनमें वे ईमेल भी हो सकते हैं जो कस्टमर को प्रोडक्ट खरीदने के ठीक बाद मिलते हैं—शायद स्टोर पर वापस भेजने के लिए इंसेंटिव के साथ. इनमें कोई कूपन, मुफ़्त आइटम या अन्य डील हो सकती हैं. ईमेल इंटरैक्शन किसी ऐसे ब्रैंड से मिलने वाले साप्ताहिक या मासिक सब्सक्रिप्शन पर आधारित मैसेज भी हो सकते हैं जो कस्टमर को नए प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में याद दिलाते हैं.

ऑनलाइन चैनलों में सोशल मीडिया भी शामिल है. सोशल मीडिया चैनलों से आपकी वेबसाइट पर आने वाली ऑडियंस को आपके ब्रैंड के बारे में बताया जा सकता है. इससे अगली बार उनके खरीदारी करते समय आपको अपना ब्रैंड टॉप-ऑफ़-माइंड रखने में मदद मिलती है.

ऑडियंस को सही मैसेज भेजने के लिए इस तरह के ऐड अन्य तरह के टच पॉइंट के साथ आपस में कनेक्ट होकर काम करते हैं. टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्षमताओं और डिजिटल मीडिया से आपकी ओमनीचैनल रणनीति को आपकी ऑडियंस के हिसाब से बेहतर बनाने में मदद मिलती है.

इन-स्टोर चैनल

वे ऑनलाइन चैनल, फ़िजिकल स्टोर की एक्सपेरीएन्शल मार्केटिंग के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. ओमनीचैनल रणनीतियों से खरीदारी का एक जैसा अनुभव पाने में मदद मिलती है, चाहे कस्टमर आपके ब्रैंड के साथ ऑनलाइन या निजी तौर पर एंगेज हो—इसमें कस्टमर सर्विस रिप्रज़ेंटेटिव या कैशियर के साथ इंटरैक्शन या इन-स्टोर डिस्प्ले देखना और इंटरैक्टिव एक्सपीरिएंस शामिल हो सकते हैं. टेक्नोलॉजी से ऑनलाइन बिज़नेस को बढ़ाने में बहुत मदद मिली है, लेकिन ये इन-स्टोर एक्सपीरिएंस अभी भी काफ़ी ज़रूरी हैं और आपकी व्यापक ओमनीचैनल रणनीति में ज़रूरी हो सकते हैं.

Amazon Ads किस तरह मदद कर सकते हैं

Amazon Ads से आपको कई तरह के चैनलों से कस्टमर को एंगेज करने में मदद मिल सकती है. हम Twitch पर स्ट्रीमिंग इंटीग्रेशन और Amazon शॉपिंग नतीजे में Sponsored Products जैसे कई सॉल्यूशन ऑफ़र करते हैं. साथ ही, हमारा फ़ुल-फ़नेल अप्रोच यह पक्का करता है कि ऑडियंस से उनकी ख़रीदारी के सफ़र में किसी भी स्टेज पर मिला जा सके. साथ ही, यह भी इससे यह पक्का होता है कि हर इंटरैक्शन का मतलब और असर हो.

ओमनीचैनल के ट्रेंड

अब आपको ओमनीचैनल के बारे में काफ़ी जानकारी है, तो कुछ खास ट्रेंड के बारे में जानना ज़रूरी है:

  • कस्टमर ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह से ख़रीदारी कर रहे हैं: ख़रीदारों को दोनों विकल्प उपलब्ध होना पसंद है, इसलिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों चैनलों को इंटीग्रेट करने से सम्बंधित ऑडियंस तक आपकी पहुँच पक्की होती है.
  • AI की सुविधा वाले चैटबॉट ज़्यादा मशहूर हो रहे हैं: इंसानों जैसे इन स्मार्ट बॉट से आसान और जटिल टास्क पूरे करने में मदद मिल सकती है. कस्टमर की मदद करते समय वे आसान भाषा का इस्तेमाल करते हैं जिससे कस्टमर को ज़्यादा जुड़ाव महसूस होता है.
  • ज़्यादा चैनलों का मतलब ज़्यादा एंगेजमेंट हो सकता है: अगर ज़्यादा चैनलों से ज़्यादा एंगेजमेंट मिल सकता है और एंगेजमेंट बढ़ने से ख़रीदारी और रिटेंशन रेट बढ़ सकती हैं, तो यह आपकी ओमनीचैनल रणनीति में और चैनल बनाना शुरू करने का समय है.
  • क्रॉस-डिवाइस इंटरैक्शन की ग्रोथ: कस्टमर कई स्क्रीन इस्तेमाल कर रहे हैं, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है. असल में, वे शॉपिंग के अपने पूरे सफ़र में एक ही समय में कई डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन कॉमर्स और रीमार्केटिंग रणनीतियाँ बनाते समय इसे ध्यान में रखना ज़रूरी है.
  • मॉर्डन सप्लाई चेन और नई टेक्नोलॉजी से ऑनलाइन Stores और फ़िज़िकल एक्सपीरिएंस की अंदरूनी कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिलती है: नई टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और ऑटोमेशन का मतलब है कि हर व्यक्ति और हर चीज़ ज़्यादा कनेक्टेड है. इस तरह के बिना रुकावट वाले इंटरैक्शन के अवसरों का फ़ायदा लेते हुए यह पक्का करना ज़रूरी है कि आपके ब्रैंड के साथ कस्टमर का एक्सपीरिएंस अच्छा रहे. इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उन्हें आपके बारे में कहाँ से पता चला.

नतीजा

कस्टमर हर दिन आपके अलग-अलग चैनलों पर आपके ब्रैंड के साथ एंगेज होते हैं. आपका ब्रैंड एक ओमनीचैनल रणनीति के ज़रिए उन कनेक्शन को बेहतर बना सकता है. मार्केटिंग की ओमनीचैनल रणनीतियाँ आपके बिज़नेस प्लान का ज़रूरी हिस्सा हैं और वे लंबी अवधि में आपके बिज़नेस की ग्रोथ के लिए ज़रूरी हैं. अब आपको ओमनीचैनल और मल्टीचैनल रणनीतियों के बीच अहम फ़र्क़, उनकी परिभाषा और अहमियत के बारे में पता है. यही समय है अपनी जानकारी को काम में लाने का. Amazon Ads की मदद से अपनी रणनीति के साथ शुरू करें.