एक्सपर्ट की सलाह

कंज़्यूमर के व्यवहार में एक्सपर्ट डेविड एलिसन ने वैल्यू-आधारित मार्केटिंग के विज्ञान के बारे में बताया है

कंज़्यूमर के व्यवहार में एक्सपर्ट डेविड एलिसन ने वैल्यू-आधारित मार्केटिंग के विज्ञान के बारे में बताया

21 अगस्त, 2025 | जेन रॉबर्ट्स मा, सीनियर कॉन्टेंट मैनेजर

आज के कस्टमर से जुड़ने की बात आती है तो कंज़्यूमर के व्यवहार पर रिसर्च के प्रमुख डेविड एलिसन मानते हैं कि इसका जवाब पारंपरिक डेमोग्राफ़िक बकेट में नहीं, बल्कि कहीं ज़्यादा मज़बूत और लंबे समय तक टिकने वाली चीज़ में है: उनकी वैल्यू. एलिसन इस विचार को लेकर इतने जुनूनी हैं कि 2015 में उन्होंने 25 साल का मार्केटिंग करियर छोड़कर Valuegraphics Research Company स्थापित की और इंसानी वैल्यू की पहली ग्लोबल इन्वेंट्री को तैयार किया है. आज, उस डाटाबेस में दुनिया भर से 10 लाख से ज़्यादा कंज़्यूमर सर्वे का विश्लेषण शामिल है. इसे 180 देशों में किसी भी टार्गेट ऑडियंस की शेयर की गई वैल्यू को पहचानने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

अपनी रिसर्च का इस्तेमाल करते हुए, एलिसन ने हाल ही में Amazon Ads लीडर्स समिट में पैनल चर्चा में हिस्सा लिया, जो Cannes Lions इंटरनेशनल फ़ेस्टिवल ऑफ़ क्रिएटिविटी के साथ आयोजित किया गया था. इसमें, उन्होंने फ़ुल-फ़नेल मार्केटिंग को ऑप्टिमाइज करने के बारे में चर्चा की है. फिर वह हमारे साथ बैठकर इस बारे में विस्तार करने लगे कि वैल्यू-आधारित इनसाइट किस तरह से एडवरटाइज़र के लिए कस्टमर की ख़रीदारी के सफ़र में हर टच पॉइंट पर अपनी ऑडियंस से एंगेज होने के तरीक़े को बदल सकती हैं.

सवाल: The Valuegraphics रिसर्च कंपनी शुरू करने से पहले, आपके पास अपनी ख़ुद की क्रिएटिव एजेंसी थी. करियर बदलने और इस पहल को शुरू करने के लिए आपको किस बात ने प्रेरित किया?

डेविड एलिसन: एजेंसी की दुनिया में मेरे अनुभवों ने मुझे इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया. जिस फ़र्म का मैं नेतृत्व करता था, वह हाई-एंड रियल एस्टेट डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट पर फ़ोकस करती थी. ये हमेशा रिबन-कटिंग इवेंट पर ख़त्म होते थे. यहाँ मैं उन लोगों से मिलता था जिन्हें हमारे कैम्पेन ने आकर्षित किया था. समय के साथ, मुझे इस बात से बहुत आश्चर्य हुआ कि इन इवेंट पर कौन आता है. मैं चारों ओर देखता और सोचता हूँ, “आप यहाँ क्यों हो? आप उस टार्गेट ऑडियंस डेमोग्राफ़ में फ़िट नहीं बैठते जिसे हमने इस्तेमाल किया था.”

सच तो यह है कि, कमरे में मौजूद हर कोई एक ही वजह से वहाँ था, मैंने ऐसा पहले नहीं सोचा था. मैं गलत लेंस से देख रहा था. वे अपनी डेमोग्राफ़िक की वजह से दिखाई नहीं दिए. वे सभी वहाँ इसलिए थे क्योंकि हमने गलती से, लेकिन सौभाग्य से प्रोडक्ट को इस तरह पोज़िशन किया था कि वह उनके लिए सबसे ज़रूरी चीज़ से मैच करता था. दूसरे शब्दों में कहें, तो यह उनकी वैल्यू से मैच करता था. मैं इस नतीजे पर अकेले नहीं पहुँचा: यह अनगिनत व्यवहारिक साइंटिस्ट के काम पर मेरी स्टडी थी, जिसने मुझे सही राह दिखाने में मदद की है. जब मुझे यह समझ आया, तो मैं उत्साहित हुआ और अन्य मार्केटर की मदद करना चाहता था कि वे अपनी पूरे ऑडियंस तक पहुँचें ग़लती से नहीं, बल्कि जानबूझकर.

सवाल: वैज्ञानिक सोच क हिसाब से, ऑडियंस को पहचानने और उनसे एंगेज होने के लिए वैल्यू इतनी असरदार टूल क्यों है?

एलिसन: डेमोग्राफ़िक (जो एक्सटर्नल फ़ैक्टर को दिखाते हैं जैसे, उम्र, लिंग और आय) या साइकोग्राफ़िक (जो पिछले व्यवहार के रिकॉर्ड हैं जैसे, ख़रीदारी की गतिविधि) के विपरीत वैल्यू जीवनभर एक जैसी रहती हैं और फ़ैसले लेने में मुख्य भूमिका निभाती हैं. सभी मानवीय फ़ैसले हमारी वैल्यू के हिसाब से फ़िल्टर किए जाते हैं. मस्तिष्क विज्ञान के हिसाब से, मस्तिष्क के एक हिस्से इंसुला में रास्ता होता है. जब आप कोई ऐसा विकल्प चुनते हैं जो आपकी वैल्यू के हिसाब से हो, यह रास्ता ऐक्टिव हो जाता है. इससे, आपको डोपामाइन के जरिए इनाम मिलता है और अच्छा महसूस होता है.

सवाल: क्या इसका मतलब यह है कि वैल्यू-आधारित मार्केटिंग डेमोग्राफ़िक और साइकोग्राफ़िक को बदल सकती है?

एलिसन: नहीं, मैं मार्केटर को यही सलाह दूँगा कि वे उन डेटासेट के इस्तेमाल के तरीक़े पर दोबारा विचार करें और उन्हें नया रूप दें, जहाँ वैल्यू (या वैल्यूग्राफ़िक, जैसा कि हम उन्हें कहते हैं) कॉम्प्लिमेंटरी फ़ैक्टर के रूप में काम करें. मैं इसे ऑडियंस इनसाइट का तीन-पैर वाला स्टूल कहता हूँ: डेमोग्राफ़िक आपको ऑडियंस की सीमा तय करने देते हैं, साइकोग्राफ़िक आपको पिछले व्यवहार देखने में मदद करते हैं और वैल्यूग्राफ़िक बताते हैं कि लोगों के लिए सबसे ज़रूरी क्या है और भविष्य में लिए जाने वाले फ़ैसले पर असर डालते हैं. मार्केटर को इन तीनों को एक साथ लाना चाहिए, ताकि वे अपनी मुख्य ऑडियंस की पहचान कर सकें और उनके साथ सबसे असरदार ढँग से एंगेज हो सकें.

इस विचार को 2025 में Amazon Ads द्वारा की गई स्टडी से और सपोर्ट मिला, जिसमें पाया गया कि डेमोग्राफ़िक के साथ कंज़्यूमर की वैल्यू, कम्युनिटी और व्यवहार को मिलाकर अपनाया गया तरीक़ा ब्रैंड को ज़्यादा सम्बंधित कस्टमर तक पहुँचने में मदद कर सकता है.1

quoteUpकंज़्यूमर की वैल्यू को समझकर और उनसे जुड़कर, मार्केटर एडवरटाइज़िंग को ज़्यादा स्पष्ट बनाने में मदद कर सकते हैं.
डेविड एलिसन, कंज़्यूमर के व्यवहार पर रिसर्च में पायनियर

सवाल: मार्केटर मानव वैल्यू जैसी मुश्किल और सब्जेक्टिव चीज़ के बारे में कैसे नतीजे निकाल सकते हैं?

एलिसन: वैल्यू का विश्लेषण करना और उन्हें पारंपरिक टूल और तरीक़ों से सही ढँग से जोड़ना मुश्किल हो सकता है. Valuegraphics रिसर्च कंपनी में, हम अपने ग्लोबल वैल्यू डाटाबेस का इस्तेमाल ब्रैंड की मदद के लिए करते हैं, ताकि वे उन मुख्य वैल्यू की पहचान कर सकें, जो उनके इच्छित कस्टमर बेस को एक साथ लाती हैं और प्रेरित करती हैं. इसके अलावा, टेक्नोलॉजी कस्टमर इनसाइट और जुड़ाव की कई बाधाओं को तोड़ने में मदद कर रही है. ख़ासकर, स्ट्रीमिंग सिग्नल कंज़्यूमर वैल्यू के लिए उपयोगी संकेत हैं. Amazon Ads की रिसर्च में पाया गया है कि लोग समान जनरेशन की पसंद शेयर करने के बजाय अपने मनोरंजन की पसंद के आधार पर 2.1 गुना ज़्यादा यूनिफ़ाइड होते हैं.2 इसका मतलब यह है कि जो ऑडियंस एक ही टीवी शो, फ़िल्म या स्पोर्ट्स इवेंट को देखती हैं, उनकी वैल्यू का मैच समान उम्र के ग्रुप के रैंडम कंज़्यूमर की तुलना में ज़्यादा होता है.

सवाल: आपने Amazon Ads लीडर्स समिट में ऑडियंस से कहा कि जब आप अपनी ऑडियंस की शेयर की गई वैल्यू को जान लेते हैं, तो आप उन वैल्यू को हर फ़नेल स्टेज पर लगातार अपनी एडवरटाइज़िंग में शामिल कर सकते हैं. यह क्यों ज़रूरी है? अन्य शब्दों में कहें, तो क्या वैल्यू-आधारित मार्केटिंग का तरीक़ा असल में ऐड पर ख़र्च से हुआ फ़ायदा बढ़ाने में मदद कर सकता है?

एलिसन: बिल्कुल. Valuegraphics रिसर्च कंपनी में, हमने पाया है कि फ़नेल के हर स्टेज पर अपने ऐड क्रिएटिव में वैल्यू को शामिल करना आपकी मार्केटिंग की कोशिश के लिए एक तरह से बीमा और तेज़ी लाने दोनों का काम कर सकता है. अगर आप दिखा सकें कि आप अपने कस्टमर के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ों को समझते हैं और उनकी शेयर की गई वैल्यू के साथ मैच करते हैं, तो आप एंगेजमेंट, भरोसा, वफ़ादारी और ज़्यादा ख़र्च करने की इच्छा में बढ़ोतरी देखेंगे, जिन्हें हम ROV (वैल्यू पर फ़ायदे) मेट्रिक कहते हैं. यह कंज़्यूमर-ब्रैंड संबंधों को लंबी अवधि के लिए सुरक्षित रखने का शक्तिशाली तरीक़ा है. फिर, कस्टमर को आपके ब्रैंड से परफ़ॉर्मेंस एडवरटाइज़िंग मिलेगी, तो वे उसे ज़्यादा स्वीकार करेंगे और उस पर ऐक्शन लेने की संभावना बढ़ जाएगी. ऐसे ब्रैंड का उदाहरण जिसने इसमें अच्छी तरह किया है, वह है Citizen जो जापानी वॉच कंपनी है. सस्टेनेबिलिटी की वैल्यू के इर्द-गिर्द फ़ुल-फ़नेल कैम्पेन बनाकर, Citizen ने सिर्फ़ जागरूकता और कन्वर्शन ही नहीं, बल्कि बिक्री भी बढ़ाई है.

सवाल: वैल्यू-आधारित मार्केटिंग कंज़्यूमर को क्या फ़ायदा देती है?

एलिसन: एक वजह जिससे मैं वैल्यू-आधारित तरीक़े के प्रति इतना उत्साहित हूँ, वह यह है कि डेमोग्राफ़िक पर ज़्यादा निर्भरता अनजाने में रूढ़िवादी धारणाओं को मज़बूत कर सकती है, जैसे उम्र और सेक्सिस्ट से जुड़ी धारणाएँ. कंज़्यूमर की वैल्यू को समझकर और उनसे जुड़कर, मार्केटर एडवरटाइज़िंग को ज़्यादा स्पष्ट बनाने में मदद कर सकते हैं. यह ब्रैंड और कस्टमर दोनों के लिए फ़ायदे का सौदा है.

पेशेवर सुझाव: Amazon DSP ऐसा टूल है, जो ब्रैंड को इच्छित ऑडियंस तक पहुँचने में मदद कर सकता है. साथ ही, Amazon के खरबों ब्राउज़िंग, शॉपिंग और स्ट्रीमिंग डेटा के आधार पर, अलग-अलग डिजिटल टच पॉइंट पर ज़्यादा काम के ऐड दिखाएँ. Amazon DSP का इस्तेमाल करने वाले एडवरटाइज़र ने पाया है कि औसतन, जो कैम्पेन उम्र और दिलचस्पी-आधारित ऑडियंस दोनों का इस्तेमाल करते हैं, उनकी कन्वर्शन रेट सिर्फ़ उम्र-आधारित ऑडियंस वाले कैम्पेन की तुलना में 2.2 गुना तक ज़्यादा होती है.3 यह मार्केटिंग के लिए कई सिग्नल का इस्तेमाल करने के असर को दिखाता है.

सोर्स

1–2 Amazon Ads की Strat7 Crowd.DNA के साथ मिलकर की गई कस्टम रिसर्च. जनरेशनल डिवाइड से परे: उपभोक्ताओं से जुड़ने के नए नियम. इसे दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 तक चलाया गया था. डेटा AU, BR, CA, DE, ES, FR, IT, JP, MX, U.K. और U.S. को एक साथ दिखाता है. आधार: सभी जवाब देने वाले (26,400), जेन ज़ी (6,680), मिलेनियल (6,680), जेन एक्स (6,668), बेबी बूमर्स (6,372).

3 Amazon आंतरिक डेटा. जनवरी 2024 - दिसंबर 2024. यह विश्लेषण 710 Amazon DSP कैम्पेन पर आधारित है, जिनमें या तो सिर्फ़ उम्र-आधारित ऑडियंस का इस्तेमाल किया गया या फिर उम्र-आधारित और दिलचस्पी-आधारित ऑडियंस दोनों का इस्तेमाल किया है. US, CA, UK, IN, FR, JP, AU, BR, AE, TR, DE, ES, IT के एडवरटाइज़र में से जो Amazon.com पर अपने प्रोडक्ट बेचते हैं.